ऊंची कीमतों के कारण इस वर्ष की दूसरी तिमाही में सोने की मांग 5 प्रतिशत घटकर 150 टन रह गई, जबकि एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में 158 टन सोने की मांग थी।
मंगलवार को जारी विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में यह 14 प्रतिशत बढ़कर 93,850 करोड़ रुपये (82,530 करोड़ रुपये) हो गया।
आभूषणों की मांग 17 प्रतिशत घटकर 106 टन (128.6 टन) रह गई, जबकि निवेश 46 प्रतिशत बढ़कर 43 टन (29 टन) हो गया।
उच्च कीमतों के बावजूद, सोने की रीसाइक्लिंग 2023 की दूसरी तिमाही में 38 टन के मुकाबले 39 प्रतिशत घटकर 23 टन रह गई।
आयात 8 प्रतिशत बढ़कर 197 टन (182 टन) हो गया।
सीमित खरीदारी
औसत तिमाही कीमत बढ़कर 2,338 डॉलर प्रति औंस ($1,976) हो गई।
घरेलू स्तर पर सोने की कीमत आयात शुल्क और जीएसटी को छोड़कर बढ़कर 62,700 रुपये प्रति 10 ग्राम (52,192 रुपये) हो गई।
विश्व स्वर्ण परिषद के भारत के क्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन जैन ने कहा कि सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के कारण घरेलू सोने की मांग में थोड़ी नरमी आई है, जिससे सामर्थ्य और खरीद पर असर पड़ा है।
ऊंची कीमतों, आम चुनाव और भीषण गर्मी के कारण आभूषणों की मांग में गिरावट आई। उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया और गुड़ी पड़वा जैसे त्योहारों ने अस्थायी तौर पर तेजी तो प्रदान की, लेकिन रिकॉर्ड ऊंची कीमतों ने उपभोक्ता धारणा को कमजोर करना जारी रखा।
‘स्थायी मूल्य’
जैन ने कहा कि सीमित पुनर्चक्रण सीमित संकटकालीन बिक्री को इंगित करता है, जो भारत में मूल्य के भंडार के रूप में सोने की स्थायी भूमिका को उजागर करता है।
उन्होंने कहा कि भविष्य की बात करें तो सोने पर आयात शुल्क में हाल ही में की गई 9 प्रतिशत की कटौती से सितंबर में शुरू होने वाले त्यौहारी सीजन और प्रचुर मानसून से पहले जुलाई तिमाही में मांग में सुधार आने की उम्मीद है।
भारत का आर्थिक परिदृश्य भी सकारात्मक बना हुआ है, जिसमें मजबूत जीडीपी पूर्वानुमान और ग्रामीण क्षेत्र में सुधार शामिल है, जिससे वर्ष की दूसरी छमाही में मांग को समर्थन मिलने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूजीसी ने पूरे वर्ष की मांग के लिए अपना पूर्वानुमान 700-750 टन पर बरकरार रखा है।