बढ़ती भू-राजनीतिक चिंताओं के बीच रत्न एवं आभूषण निर्यात में गिरावट का रुख जारी रहा और जुलाई में यह 23 फीसदी घटकर 1.66 अरब डॉलर (13,922 करोड़ रुपये) रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 2.17 अरब डॉलर (17,832 करोड़ रुपये) था।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के आंकड़ों के अनुसार, आयात पिछले वर्ष की समान अवधि के 1.68 अरब डॉलर (13,832 करोड़ रुपये) की तुलना में 17 फीसदी घटकर 1.40 अरब डॉलर (11,739 करोड़ रुपये) रह गया।
चीन के साथ हीरे के व्यापार में भारी गिरावट के कारण कटे और पॉलिश किए गए हीरे का निर्यात 23 प्रतिशत घटकर 908 मिलियन डॉलर (1.17 बिलियन डॉलर) रह गया, जो भारत से होने वाले निर्यात का 10-15 प्रतिशत है। कटे और पॉलिश किए गए हीरे का आयात भी 51 प्रतिशत घटकर 82 मिलियन डॉलर (166 मिलियन डॉलर) रह गया।
कच्चे हीरे का आयात
मूल्यवर्धित उत्पादों की कमजोर मांग के कारण कच्चे हीरों का आयात 16 प्रतिशत घटकर 4.3 बिलियन डॉलर (5.11 बिलियन डॉलर से) रह गया। दुनिया के सबसे बड़े हीरा प्रसंस्करण केंद्र के रूप में, भारत में मांग में इस गिरावट के कारण इस क्षेत्र में निराशा का माहौल है।
प्राकृतिक हीरे की कीमतों में गिरावट के बीच कमजोर मांग के कारण जुलाई में पॉलिश किए गए प्रयोगशाला में उगाए गए हीरों का निर्यात भी 10 प्रतिशत घटकर 95 मिलियन डॉलर (105 मिलियन डॉलर) रह गया।
सोने की कीमतों में मामूली वृद्धि के कारण वैश्विक मांग में गिरावट के कारण स्वर्ण आभूषणों का निर्यात भी 12 प्रतिशत घटकर 530 मिलियन डॉलर – 603 मिलियन डॉलर रह गया।
कमजोर मांग के कारण रंगीन रत्नों का निर्यात घटकर 114 मिलियन डॉलर (153 मिलियन डॉलर) रह गया।
भू-राजनीतिक तनाव
कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कोलिन शाह ने कहा कि उद्योग पिछले डेढ़ साल से सुस्त व्यापारिक गतिविधियों के कारण अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव के फिर से उभरने से परिदृश्य फिर अनिश्चितता की ओर बढ़ गया है।