शुक्रवार को मुंबई में आयोजित वार्षिक वैश्विक हल्दी सम्मेलन के दूसरे संस्करण में हल्दी पारिस्थितिकी तंत्र में विकास के अगले चरण को खोलने और निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीतियों की खोज की गई।
एनसीडीईएक्स की सहायक कंपनी एनसीडीईएक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कमोडिटी मार्केट्स एंड रिसर्च (एनआईसीआर) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में किसान उत्पादक संगठनों, व्यापारियों, प्रसंस्करणकर्ताओं, निर्यातकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों सहित 200 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि देश दुनिया का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है तथा महाराष्ट्र, “स्वर्ण मसाला” कहे जाने वाले हल्दी के एक तिहाई उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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उन्होंने कहा कि हेमंत पाटिल की अध्यक्षता वाले बालासाहेब ठाकरे हरिद्रा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की सहायता से हल्दी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
हल्दी बोर्ड
उन्होंने कहा, “केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुरूप, हम उद्यमियों और किसानों को उनके प्रयासों में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पूर्व सांसद हेमंत श्रीराम पाटिल ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से हल्दी की कीमत 5,000-5,500 रुपये के बीच रही है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों के कारण, कीमतें अब 13,000 रुपये से लेकर 35,000 रुपये तक पहुंच गई हैं।
उन्होंने कहा कि हितधारकों के समर्पित प्रयासों के परिणामस्वरूप हल्दी बोर्ड की स्थापना हुई है, जिससे बेहतर बाजार पहुंच, प्राथमिक उत्पादक का उत्थान, उत्पाद नवाचार और मसाले के आसपास समग्र पारिस्थितिकी तंत्र का विकास संभव हो सका है।
पतंजलि फूड्स के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हल्दी के फायदे भारतीयों को अच्छी तरह पता हैं और इसे विश्व स्तर पर प्रचारित करने की जरूरत है।
एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण रास्ते ने कहा कि सम्मेलन ने सहयोगात्मक प्रयासों के लिए मजबूत आधार तैयार किया है, जिससे वैश्विक हल्दी बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
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