सुप्रीम कोर्ट एड-टेक फर्म बायजू के खिलाफ दिवालियेपन कार्यवाही से संबंधित याचिका पर 17 सितंबर को सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट एड-टेक फर्म बायजू के खिलाफ दिवालियेपन कार्यवाही से संबंधित याचिका पर 17 सितंबर को सुनवाई करेगा


उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अमेरिका स्थित ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की अपील पर 17 सितंबर को सुनवाई करेगा। एनसीएलएटी ने एड-टेक कंपनी बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को मंजूरी दे दी थी।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से वकीलों के एक समूह ने आग्रह किया कि मामले में बाद के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए।

शिक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन.के. कौल ने याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जानी चाहिए।

बीसीसीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एड-टेक फर्म की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने इस दलील का समर्थन किया।

कौल ने कहा कि मामले में एक अन्य याचिका भी दायर की गई है और उस पर 17 सितंबर को सुनवाई होगी, इसलिए मौजूदा याचिका पर या तो उसी दिन सुनवाई की जाए या फिर दोनों मामलों की सुनवाई इस शुक्रवार को की जाए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम दोनों याचिकाओं पर 17 सितंबर को सुनवाई करेंगे।’’

अमेरिकी आधारित ऋणदाता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई 17 सितंबर को एक साथ की जाए।

इससे पहले 22 अगस्त को पीठ ने यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था कि संकटग्रस्त एड-टेक फर्म के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही के सिलसिले में ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) कोई बैठक नहीं करेगी।

इसने याचिका पर अंतिम सुनवाई 27 अगस्त को तय की थी।

पीठ ने कहा था कि इस बीच जो भी घटनाक्रम घटित हो सकते हैं, उन्हें नकारा जा सकता है, यदि उसे लगता है कि अपीलीय दिवाला न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अमेरिका स्थित ऋणदाता की अपील में कोई दम नहीं है।

इस याचिका का उल्लेख इससे पहले 20 अगस्त को भी बायजू और बीसीसीआई द्वारा किया गया था और शीर्ष अदालत ने तब भी एड-टेक फर्म के खिलाफ दिवाला कार्यवाही में लेनदारों की समिति (सीओसी) गठित करने से दिवाला समाधान पेशेवर (आईआरपी) को रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था।

बायजू को बड़ा झटका देते हुए शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें एड-टेक प्रमुख के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी दे दी थी।

एनसीएलएटी का 2 अगस्त का फैसला बायजू के लिए बड़ी राहत लेकर आया था, क्योंकि इससे इसके संस्थापक बायजू रवींद्रन को नियंत्रण वापस मिल गया था।

शीर्ष अदालत ने हालांकि प्रथम दृष्टया एनसीएलएटी के फैसले को “अविवेकपूर्ण” करार दिया था और दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ एड-टेक फर्म के अमेरिका स्थित ऋणदाता की अपील पर बायजू और अन्य को नोटिस जारी करते हुए इसके संचालन पर रोक लगा दी थी।

यह मामला बीसीसीआई के साथ प्रायोजन सौदे से संबंधित 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान में बायजू द्वारा चूक से उत्पन्न हुआ था।

शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई को निर्देश दिया था कि वह बायजू से समझौते के बाद प्राप्त 158 करोड़ रुपये की राशि को अगले आदेश तक एक अलग एस्क्रो खाते में रखे।

पीठ ने कहा था, “नोटिस जारी करें। अगले आदेश तक एनसीएलएटी के 2 अगस्त के आदेश पर रोक रहेगी। इस बीच, बीसीसीआई 158 करोड़ रुपये की राशि को अगले आदेश तक एक अलग एस्क्रो खाते में रखेगा, जो एक समझौते के तहत वसूला जाएगा।”

एनसीएलएटी ने बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाये के निपटान को मंजूरी दे दी थी और बायजू के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही को रद्द कर दिया था।

बायजू ने 2019 में बीसीसीआई के साथ “टीम प्रायोजक समझौता” किया था। समझौते के तहत, एड-टेक फर्म को भारतीय क्रिकेट टीम की किट पर अपना ब्रांड प्रदर्शित करने के लिए विशेष अधिकार और कुछ अन्य लाभ मिले। बायजू को प्रायोजन शुल्क का भुगतान करना था। कंपनी ने 2022 के मध्य तक अपने दायित्वों को पूरा किया, लेकिन 158.9 करोड़ रुपये के बाद के भुगतान में चूक गई।

दिवालियापन की कार्यवाही शुरू होने के बाद, बायजू ने बीसीसीआई के साथ समझौता कर लिया।

16 जुलाई को, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ ने लगभग 158.9 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान में चूक को लेकर बीसीसीआई द्वारा दायर याचिका पर बायजू की मूल कंपनी ‘थिंक एंड लर्न’ को दिवालियापन समाधान प्रक्रिया में शामिल किया था।

एड-टेक फर्म के बोर्ड को निलंबित करते हुए, एनसीएलटी ने कंपनी के संचालन को चलाने के लिए एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया था, कंपनी के निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया था, और इसकी संपत्तियों को फ्रीज करके इसे स्थगन के तहत ला दिया था।

अमेरिका स्थित ऋणदाताओं को संदेह था कि निपटान राशि को उनके द्वारा बायजू को दिए गए ऋण से अलग किया जा रहा था।

.

.

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *