वैश्विक कच्चे इस्पात का उत्पादन नवंबर 2024 में 0.8 प्रतिशत बढ़कर 146.8 मिलियन टन (एमटी) हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 145.6 मिलियन टन था।
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (वर्ल्डस्टील) के अनुसार, शीर्ष उत्पादक चीन ने नवंबर में 78.4 मिलियन टन का उत्पादन किया, जो कि एक साल पहले की अवधि से 2.5 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष के आरंभ में आई मंदी के बाद इसके उत्पादन में वृद्धि जारी रही।
भारत का उत्पादन 4.5 प्रतिशत बढ़कर 12.4 मिलियन टन हो गया। भारत का जनवरी-नवंबर उत्पादन 135.9 मिलियन टन है, जो एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 5.9 प्रतिशत सुधार है।
रूसी उत्पादन गिर गया
रूस का उत्पादन 9.2 प्रतिशत घटकर 5.5 मिलियन टन रह गया। दक्षिण कोरियाई उत्पादन में भी गिरावट आई और यह 3.6 प्रतिशत घटकर 52 लाख टन रह गया। जहां जर्मनी का उत्पादन 8.6 प्रतिशत बढ़कर 2.9 मिलियन टन हो गया, वहीं जापान का उत्पादन 3.1 प्रतिशत गिरकर 6.9 मिलियन टन हो गया। अमेरिकी उत्पादन 2.8 प्रतिशत घटकर 64 लाख टन रह गया।
ब्राज़ील का उत्पादन 1.9 प्रतिशत बढ़कर 2.8 मिलियन टन हो गया। ईरान का उत्पादन 0.1 प्रतिशत बढ़कर 3.1 मिलियन टन हो गया। तुर्किये में इस्पात उत्पादन मात्र 0.7 प्रतिशत बढ़कर 3 मिलियन टन हो गया।
क्षेत्र-वार, अफ़्रीका के उत्पादन में 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। जबकि यूरोपीय संघ की संख्या में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, यूरोप (अन्य) के उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की कमी आई। एशिया और ओशिनिया का इस्पात उत्पादन 2 प्रतिशत बढ़ गया। पश्चिम एशिया का उत्पादन 2.7 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि उत्तरी अमेरिका का उत्पादन 5.2 प्रतिशत गिर गया। नवंबर 2023 के आंकड़ों की तुलना में दक्षिण अमेरिका का इस्पात उत्पादन 3.4 प्रतिशत कम हो गया। रूस और अन्य सीआईएस देशों के आंकड़ों में 7.8 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई।
वर्ल्डस्टील ने अपने नवीनतम शॉर्ट-रेंज आउटलुक में कहा कि स्टील की मांग 2024 में घटकर 1,751 मिलियन टन हो जाएगी, लेकिन 2025 में बढ़कर 1,772 मिलियन टन हो जाएगी।