सीएनबीसी-टीवी18 के फ्यूचर फीमेल फॉरवर्ड कार्यक्रम में बोलते हुए चतुर्वेदी ने प्रवेश स्तर पर शुरुआती लैंगिक संतुलन और करियर के आगे बढ़ने के साथ सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, “जब मैंने अपना करियर शुरू किया था, तो प्रवेश स्तर पर लैंगिक संतुलन काफी हद तक संतुलित था। समस्याएं केवल हमारे करियर के आगे बढ़ने के साथ ही सामने आईं।”
उनके सामने एक महत्वपूर्ण चुनौती काम से संबंधित यात्रा के दौरान बुनियादी सुविधाओं की कमी थी, “जब आप एफएमसीजी में होते हैं, तो आप सभी प्रकार के स्थानों की यात्रा करते हैं, और मेरी सबसे बड़ी समस्या एक साफ शौचालय ढूंढना था,” उन्होंने कहा।
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चतुर्वेदी ने इन मुद्दों को हल करने के लिए कंपनियों द्वारा किए गए सुधारों को स्वीकार किया, खासकर जब अधिक महिलाएं वरिष्ठ स्तरों तक पहुंच गई हैं। उन्होंने कहा, “अब कंपनियां, क्योंकि वरिष्ठ स्तरों पर बहुत अधिक महिलाएं हैं, हम फ्रंटलाइन पर महिलाओं को सैनिटरी किट प्रदान करते हैं ताकि उन्हें ऐसी समस्याएं न हों।”
चतुर्वेदी ने कहा, “आजकल युवा लोग बहुत अधिक आत्मविश्वासी हैं और वे ‘नहीं’ कहने में सक्षम हैं। वे जीवन से अधिक की चाहत के बारे में बहुत स्पष्ट हैं।”
उन्होंने समावेशी कार्य वातावरण बनाने के लिए आईटीसी फूड्स के सक्रिय दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारे कारखाने डिजाइन के अनुसार महिला-बहुल हैं।”
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