गुजरात स्थित किचन एक्सप्रेस ओवरसीज लिमिटेड ने जीएसटी अग्रिम प्राधिकरण के फैसले के खिलाफ एएएआर का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि उसके सात ‘इंस्टेंट आटा मिक्स’ ‘खाने के लिए तैयार’ नहीं हैं, बल्कि उन्हें कुछ खाना पकाने की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और उन्हें ‘पकाने के लिए तैयार’ कहा जा सकता है।
कंपनी गोटा, खमन, दालवाड़ा, दही-वाड़ा, ढोकला, इडली और डोसा के आटे के मिश्रण को पाउडर के रूप में बेचती है और दलील दी है कि यह सत्तू के समान है और इस पर 5% का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगना चाहिए।
जीएएएआर ने अपीलकर्ता की दलील को खारिज करते हुए कहा कि ‘इंस्टेंट आटा मिक्स’ बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, सत्तू की तरह प्रासंगिक जीएसटी नियमों के अंतर्गत नहीं आती।
सीबीआईसी के परिपत्र के अनुसार, सत्तू बनाने के लिए मिश्रित की जाने वाली छोटी मात्रा वाली सामग्री को जीएसटी नियमों में 5% कर दर के लिए पात्र माना गया है।
जीएएएआर ने कहा, “हालांकि, उक्त स्पष्टीकरण वर्तमान मामले में लागू नहीं होता है, क्योंकि अपीलकर्ता द्वारा आपूर्ति किए जा रहे उत्पादों में मसाले और अन्य सामग्रियां शामिल हैं, जो ‘छटुआ या सत्तू’ के मामले में नहीं है।”
अपीलीय प्राधिकरण ने यह भी कहा कि केवल इसलिए कि इंस्टैंट मिक्स आटे के अंतिम उपभोक्ता को ऐसे उत्पादों का उपभोग करने से पहले कुछ खाद्य तैयारी प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है, यह कोई आधार नहीं है कि इस पर 18% जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए।
केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर प्रमुख एवं साझेदार अभिषेक जैन ने कहा कि वर्गीकरण विवाद जीएसटी के अंतर्गत मुकदमेबाजी के सबसे सामान्य क्षेत्रों में से एक है।
जैन ने कहा, “परिपत्र जारी होने के बावजूद, इनमें दिए गए स्पष्टीकरणों की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण अक्सर चुनौतियां बढ़ जाती हैं।”
मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि गुजरात एडवांस रूलिंग अपीलीय प्राधिकरण (एएएआर) ने एडवांस रूलिंग प्राधिकरण (एएआर) के फैसले की पुष्टि की है, जिसमें खमन और ढोकला सहित विभिन्न ‘किचन एक्सप्रेस’ ब्रांडेड आटे को अध्याय शीर्षक (सीएच) 2106 90 99 के तहत वर्गीकृत किया गया है, जिससे उन्हें 18% जीएसटी दर के अधीन किया गया है।
मोहन ने कहा, “यह निर्धारण उत्पादों में चीनी, नमक और मसालों जैसे योजकों के महत्वपूर्ण समावेश पर आधारित था, जो उन्हें अध्याय 1101, 1102 या 1106 के तहत वर्गीकृत सरल आटे से अलग करता है, जिस पर 5% जीएसटी दर लगती है।”
मोहन ने कहा कि एएएआर ने स्पष्ट किया कि सीएच 2106 90 99 में ‘तैयार-से-पकाया’ खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं और अपीलकर्ता की ‘सत्तू’ से तुलना को खारिज कर दिया तथा कहा कि अपीलकर्ता के उत्पादों में योजकों की पर्याप्त उपस्थिति उच्च कर दर को उचित ठहराती है।