सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी ने शुक्रवार को कहा कि उसने विंध्य बेसिन में हट्टा गैस फील्ड के निकट एक लघु-स्तरीय तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) संयंत्र स्थापित करने के लिए आईओसीएल के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
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एमओयू पर 17 जून को हस्ताक्षर किए गए। अन्वेषण एवं उत्पादन (ईएंडपी) क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ने कहा कि हट्टा एलएनजी संयंत्र की स्थापना से विंध्य बेसिन का दर्जा काफी बढ़ जाएगा और इसे श्रेणी II से श्रेणी I बेसिन में उन्नत किया जाएगा।
वे बेसिन जिनमें प्रमाणित हाइड्रोकार्बन संसाधन हैं तथा जिनका वाणिज्यिक उत्पादन स्थापित है, श्रेणी-I बेसिन हैं, जबकि श्रेणी-II वे बेसिन हैं जिनमें आकस्मिक संसाधन हैं, जिन्हें अभी पुनः प्राप्ति योग्य भंडारों तथा वाणिज्यिक उत्पादन में परिवर्तित किया जाना है।
ओएनजीसी ने कहा कि संयंत्र में एलएनजी उत्पादन के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी और यह भारत के जलवायु परिवर्तन शमन लक्ष्यों के अनुरूप होगा।
हट्टा में यह खोज पांच दशकों के निरंतर अन्वेषण प्रयासों का परिणाम है। ONGC ने हट्टा क्षेत्र में अपनी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करने के लिए हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (DGH) को अपनी फील्ड डेवलपमेंट योजना (FDP) पहले ही सौंप दी है।
ओएनजीसी और इंडियन ऑयल के बीच ‘हट्टा, मध्य प्रदेश में प्रौद्योगिकी प्रदर्शन लघु स्तरीय एलएनजी संयंत्र के लिए गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन’ भारत के लिए एक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है।
जैसे-जैसे राष्ट्र ऊर्जा आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, हट्टा एलएनजी संयंत्र नवाचार, सहयोग और हरित कल के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक बनेगा।