यह मामला राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखा जाएगा, जो मामले की सुनवाई के लिए एक अलग पीठ नियुक्त करेंगे।
रवींद्रन ने एडटेक कंपनी बायजू चलाने वाली थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू करने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
यह मामला सोमवार को एनसीएलएटी की चेन्नई स्थित दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिसमें न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, सदस्य (न्यायिक) और जतिन्द्रनाथ स्वैन, सदस्य (तकनीकी) शामिल थे।
हालांकि, न्यायमूर्ति शर्मा ने स्वयं को सुनवाई से अलग करते हुए कहा कि वे अपनी नियुक्ति से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के वकील के रूप में उपस्थित हुए थे।
शर्मा ने कहा, “मैं बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ वकील के तौर पर पेश हुआ हूं। चूंकि वे इस आदेश के मुख्य लाभार्थी हैं, इसलिए मैं इस पर विचार नहीं कर सकता।”
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ ने 16 जुलाई को बीसीसीआई द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए कॉर्पोरेट दिवाला समाधान कार्यवाही (सीआईआरपी) का निर्देश दिया।
बीसीसीआई ने थिंक एंड लर्न द्वारा 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक के मामले में दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था। थिंक एंड लर्न एक समय भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप था, जिसकी अनुमानित कीमत 22 अरब अमेरिकी डॉलर थी।
एनसीएलटी ने आईबीसी के प्रावधानों के अनुसार थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड को निलंबित कर दिया है और कर्ज में डूबी कंपनी की देखभाल के लिए एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है।
रवींद्रन ने एनसीएलटी के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी में चुनौती दी है। उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया है।
उच्च न्यायालय ने 26 जुलाई को रवींद्रन की याचिका 30 जुलाई तक स्थगित कर दी थी।
उच्च न्यायालय में रवींद्रन ने आदेश की वैधता और एनसीएलएटी द्वारा अपील की सुनवाई होने तक एनसीएलटी के आदेश को निलंबित करने को चुनौती दी।