सूत्रों ने बताया कि डीजीजीआई ने इन एयरलाइनों के खिलाफ 2023 में की गई विस्तृत कार्रवाई के बाद कारण बताओ नोटिस भेजा है। उन्होंने कहा कि कर प्राधिकरण ने भारतीय शाखा कार्यालयों द्वारा मुख्यालय से सेवाओं के आयात के कारण कर चोरी का आरोप लगाया है।
सूत्रों ने बताया कि कर प्राधिकरण ने एमिरेट्स को 7,550 करोड़ रुपये, एतिहाद एयरवेज को 1,660 करोड़ रुपये, सऊदी अरब एयरलाइंस को 612 करोड़ रुपये, एयर अरबिया को 455 करोड़ रुपये, ओमान एयरलाइंस को 71 करोड़ रुपये, थाई एयरवेज को 60 करोड़ रुपये, कतर एयरवेज को 53 करोड़ रुपये, सिंगापुर एयरलाइंस को 40 करोड़ रुपये, ब्रिटिश एयरवेज को 33 करोड़ रुपये और लुफ्थांसा एयर कार्गो को 10 करोड़ रुपये का कर चोरी का नोटिस भेजा है।
इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) ने कहा कि वह इस मामले पर उद्योग द्वारा कई बार ज्ञापन दिए जाने के बावजूद डीजीजीआई के कदम से निराश है।
उत्तर एशिया और एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए आईएटीए के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डॉ. झी ज़िंगक्वान ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया कि डीजीजीआई का यह दावा कि हवाई परिवहन सेवाएं प्रदान करने के दौरान विदेशी एयरलाइनों (भारत में शाखा कार्यालय के साथ) के मुख्यालयों द्वारा किए गए खर्चों पर जीएसटी लागू होना चाहिए, त्रुटिपूर्ण है।
उन्होंने दावा किया, “इसमें अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन के प्रावधान में शामिल प्रकृति और परंपराओं को ध्यान में नहीं रखा गया है। इसके अलावा, भारत अपने दृष्टिकोण में अकेला है, दुनिया भर में कहीं और ऐसा नहीं किया जाता है।”
आईएटीए के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत से बाहर के गंतव्यों के लिए परिचालन करने वाली भारतीय विमानन कम्पनियों को ऐसी परिस्थितियों या मांगों का सामना नहीं करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हवाई परिवहन की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति के लिए वैश्विक स्तर पर एक स्पष्ट और सुसंगत नीति ढांचे की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि आईएटीए इस विषय पर भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन्स एसोसिएशन निकाय ने सरकार से इस मामले को तत्काल सुलझाने में मदद करने का आग्रह भी किया है, क्योंकि इससे भारत की मजबूत विमानन क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है और उसे खतरा हो सकता है।