अखिल भारतीय काजू संघ (एआईसीए), जो नौ राज्य स्तरीय काजू संघों का एक राष्ट्रीय संघ है, 8 से 10 अगस्त के बीच बेंगलुरू में ‘एआईसीए काजू सम्मेलन’ का अपना पहला संस्करण आयोजित करेगा।
मीडिया द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस कार्यक्रम में भारतीय काजू क्षेत्र के विकास और स्थिरता के लिए तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी। ये हैं भारत में कच्चे काजू उत्पादन को बढ़ाना, प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए काजू कारखानों का प्रौद्योगिकी उन्नयन और आधुनिकीकरण, तथा भारत में काजू गिरी के सामान्य प्रचार के लिए रणनीति बनाना।
इसमें कहा गया है कि 15 से ज़्यादा राज्यों की 4,000 से ज़्यादा फ़ैक्टरियों से आने वाले काजू की गुठली का सालाना मूल्य ₹22,000 करोड़ है। काजू प्रसंस्करण उद्योग 10 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देता है, जिनमें से 70 प्रतिशत ग्रामीण समुदायों की महिलाएँ हैं। उद्योग को मशीनरी और उससे जुड़े आपूर्तिकर्ता 10,000 अतिरिक्त रोज़गार पैदा करते हैं। एक हेक्टेयर काजू की खेती 10 साल में 100 टन से ज़्यादा कार्बन सोख सकती है।
इस प्रकार, काजू उद्योग रोजगार, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण लाभ के तिहरे लाभ प्रदान करता है।
मुख्य अतिथि एपीडा के अध्यक्ष होंगे
विभिन्न तकनीकी सत्रों में 40 से अधिक वक्ता भाग लेंगे। सम्मेलन में भारत से लगभग 600 प्रतिनिधि तथा आइवरी कोस्ट, यूएई और सिंगापुर से 30 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।
इस आयोजन में मशीनरी प्रदर्शनी, वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं के लिए प्रदर्शनी क्षेत्र, तथा भारत के काजू गिरी की रेंज के प्रदर्शन के लिए प्रसंस्करणकर्ताओं का मंडप और क्रेता-विक्रेता बैठक भी होगी।
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव 8 अगस्त को आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के बीईडीएफ निदेशक तरुण बजाज; काजू एवं कोको विकास निदेशालय की निदेशक फेमिना; भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की सलाहकार (विज्ञान एवं मानक) अलका राव; भारतीय मेवा एवं सूखे मेवे परिषद की अध्यक्ष गुंजन जैन तथा कोटे डी आइवर के काजू निर्यातक संघ के अध्यक्ष एलेक्स एनगुएटिया असौमन मुख्य अतिथि होंगे।