वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने सोमवार (9 सितंबर) को जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर के भविष्य सहित प्रमुख मुद्दों की समीक्षा के लिए बैठक की। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परिषद ने क्षतिपूर्ति उपकर अधिशेष के मुद्दे को हल करने के लिए मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) के गठन पर सहमति व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि जनवरी 2026 तक केंद्र द्वारा जीएसटी मुआवजे के हिस्से के रूप में राज्यों को दिए गए बैक-टू-बैक ऋण भुगतान को मंजूरी देने की उम्मीद है।
मार्च 2026 तक कुल उपकर संग्रह ₹8.66 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें ऋण चुकौती के बाद ₹40,000 करोड़ का अनुमानित अधिशेष होगा।
#GSTCouncilMeetOutcome | मैं संकेत दूंगा कि संभवतः जनवरी 2026 तक केंद्र सरकार बैक टू बैक ऋण भुगतान को मंजूरी दे देगी #जीएसटीआज परिषद की बैठक में कम्पनसेशन सेस पर स्थिति बहुत स्पष्ट रूप से रखी गई और इस पर चर्चा की गई।
मार्च 2026 तक कुल उपकर संग्रह 8.66 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है,… pic.twitter.com/YLf8HUe5V4
— सीएनबीसी-टीवी18 (@CNBCTV18Live) 9 सितंबर, 2024
उन्होंने कहा, “राज्यों को ऋणों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए क्षतिपूर्ति उपकर को कानूनी रूप से बढ़ाया गया था।”
यह उपकर, शुरू में जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के घाटे को पूरा करने के लिए लगाया गया था, लेकिन इसे इन पुनर्भुगतानों को सुविधाजनक बनाने के लिए बढ़ा दिया गया।
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने जीएसटी परिषद द्वारा क्षतिपूर्ति उपकर के अंतर्गत 40,000 करोड़ रुपये के अनुमानित अधिशेष का उपयोग कैसे किया जाए, इस पर निर्णय लेने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “इससे पहले कि हम अधिशेष का उपयोग कर सकें, परिषद को भविष्य की कार्रवाई का निर्धारण करना होगा। क्षतिपूर्ति उपकर अनिश्चित काल तक जारी नहीं रह सकता।”
मल्होत्रा ने यह भी बताया कि उपकर संग्रह को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है, लेकिन जीएसटी परिषद को इसकी निरंतरता की समीक्षा करनी चाहिए। यदि बैक-टू-बैक ऋण पहले ही चुका दिए जाते हैं, तो उपकर संग्रह को कानूनी सीमा से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति उपकर का मूल उद्देश्य जीएसटी में परिवर्तन के दौरान राज्यों को सहायता प्रदान करना था तथा भविष्य में कोई भी कार्रवाई इसी उद्देश्य के अनुरूप होनी चाहिए।
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