सौंदर्य प्रसाधन, आयुर्वेद उत्पाद और जीवनरक्षक दवाएं भारत के शीर्ष औषधि नियामक के परीक्षण में विफल रहीं

सौंदर्य प्रसाधन, आयुर्वेद उत्पाद और जीवनरक्षक दवाएं भारत के शीर्ष औषधि नियामक के परीक्षण में विफल रहीं


केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 61 दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधनों और आयुर्वेद उत्पादों को “मानक गुणवत्ता के नहीं” पाया है। इनमें मधुमेह के लिए जीवनरक्षक फॉर्मूलेशन, सौंदर्य प्रसाधन और आयुर्वेद उत्पाद, एलोवेरा, ग्लिसरीन और विटामिन-ई साबुन, जोजोबा तेल और त्वचा की एलर्जी के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले हरिद्राखंड शामिल हैं।

इससे पहले कई बार भारतीय दवाइयां विदेशों में गुणवत्ता जांच में असफल हो चुकी हैं, जिससे भारतीय दवा उद्योग की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

भारत में औषधियों और कॉस्मेटिक उत्पादों की गुणवत्ता को औषधि एवं कॉस्मेटिक अधिनियम, 1940 के तहत विनियमित किया जाता है।

भारतीय नियामक के परीक्षण में विफल होने वाली दवाओं में शामिल हैं – गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एसोमेप्राजोल गैस्ट्रोरेसिस्टेंट टैबलेट आईपी 40 एमजी, जीवाणु संक्रमण के प्रबंधन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एमोक्सिसिलिन और पोटेशियम क्लावुलैनेट इंजेक्शन, मधुमेह के इलाज के लिए ग्लिपिजाइड और मेटफॉर्मिन टैबलेट, रक्तस्राव के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली एटैमसिलेट टैबलेट 500 एमजी, आयरन और फोलिक एसिड सिरप, और कृमि संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एल्बेंडाजोल टैबलेट।

फरवरी में भारत के औषधि महानियंत्रक राजीव रघुवंशी ने राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को नियमित रूप से नमूनों का विश्लेषण करके बाजार में दवाओं पर नज़र रखने का निर्देश दिया था। इसका उद्देश्य नकली और एनएसक्यू दवाओं का एक केंद्रीकृत मासिक डेटाबेस बनाए रखना था।

जून महीने के लिए सीडीएससीओ ड्रग अलर्ट में यह भी कहा गया है कि हृदय संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एमलोहार्ट-एटी टैबलेट, श्वसन संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मोंटोर एलसी टैबलेट, न्यूरोलॉजिकल विकारों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अल्प्राकैन 0.5 टैबलेट घटिया स्तर की हैं। इन नमूनों की जांच केंद्रीय और राज्य प्रयोगशालाओं में की गई।

एलोवेरा, विटामिन ई और जोजोबा तेल युक्त विभिन्न प्रकार के साबुन तथा आयुर्वेदिक उत्पाद घटिया स्तर के थे, जो कॉस्मेटिक की श्रेणी में आते हैं।

100 दिवसीय एजेंडा बैठक के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अधिकारियों को देश में दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए प्रश्नों का उत्तर प्रेस समय तक नहीं मिल सका।

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